|राष्ट्रीय किसान दिवस |किसान आंदोलन 2020|राष्ट्रीय किसान दिवस महत्व 2020

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जो हर साल 23 दिसंबर को मनाया जाता है। राष्ट्रीय किसान दिवस भारत के पूर्व प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह के सम्मान में मनाया जाता है। राष्ट्रीय किसान दिवस पूरे राष्ट्र में बड़े उत्साह और रुचि के साथ मनाया जाता है।  28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक उन्होंने एक बहुत ही छोटे कार्यकाल के लिए प्रधान मंत्री के रूप में देश की सेवा की। वे बहुत ही सरल और साधारण दिमाग वाले व्यक्ति थे जिन्होंने अत्यंत सरल जीवन व्यतीत किया। प्रधान मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारतीय किसानों के जीवन में सुधार के लिए कई नीतियां शुरू कीं।

किसान दिवस क्यों मनाया जाता है ?



चौधरी चरण सिंह जयंती या चरण सिंह का जन्मदिवस 23 दिसंबर को हैं। यह किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। वह बहुत विनम्र और दयालु नेता थे और किसानों में बहुत लोकप्रिय थे और इस तरह उन्हें किसानों का नेता भी कहा जाता था।हर साल  किसान दिवस मनाया जाता है खासकर उन राज्यों में जो खेती में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं जैसे उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश आदि। किसान और ग्रामीण समुदाय के सदस्य अपने प्यारे नेता को श्रद्धांजलि देने के लिए विभिन्न कृषि समारोह आयोजित करते हैं। 

किसान दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है ?
ये बहुत ही खुश नसीबी की बात हैं कि हमारे समाज का एक वर्ग ऐसा हैं जो हमारे भरण-पोषण का काम देखता हैं और इसके बदले में यदि हम उनके अधिकारों और  उनका जीवन स्तर ऊपर उठा सके, तो इससे बेहतर और कुछ नहीं हो सकता. इसलिए हमे  किसान दिवस मनाना जरूरी हैं. जिससे कि हम तक फल,सब्जियां और धान जैसी मूलभूत वस्तुएं पहुँचाने वाले वर्ग को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाता है  सरकार किसानों के लिये समय-समय पर कई तरह की योजनाएं बनाती रहती हैं और उनको लाभ देने के लिये बहुत से कृषि कार्यक्रम भी आयोजित करती हैं. इसलिए किसी एक दिन पर किसानों को उनके सम्मान के साथ  उनके हितों की जानकारी देना ही किसान दिवस को  मनाने का मुख्य उद्देश्य हैं.

किसान आंदोलन 2020 -




मौजूदा समय में पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा कृषि कानूनों का पुरजोर विरोध किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा पारित किये तीन कृषि सुधार विधेयकों के खिलाफ किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन कानूनों को सितंबर 2020 में लागू किया गया था। इस कानूनों ने कृषि उत्पादों की बिक्री, मूल्य निर्धारण और भंडारण के नियमों में थोड़ी ढील दी है।

इन कानूनों से असहमति के कारण किसानों ने एक शांतिपूर्ण विरोध शुरू किया, इस आन्दोलन को ‘दिल्ली चलो’ नाम दिया है। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व अधिकांश पंजाबी और सिख किसान कर रहे हैं। किसानों को भय है कि नए कृषि बिल उनकी आजीविका के लिए खतरा हैं।





किसानो के लिये दिल से निकले दो शब्द ---

पैर हों जिनके मिट्टी में, दोनों हाथ कुदाल पर रहते हैं सर्दी , गर्मी या फिर बारिश, सब कुछ ही वे सहते हैं आसमान पर नज़र हमेशा, वे आंधी तूफ़ां सब सहते हैं खेतों में हरियाली आये, दिन और रात लगे रहते हैं मेहनत कर वे अन्न उगाते, पेट सभी का भरते हैं वो है मसीहा मेहनत का, उसको किसान हम कहते हैं

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