शास्त्रों में नवरात्रि व्रत पारण के लिए नवमी तिथि को समापन या दशमी तिथि को उत्तम माना गया है. नवमी के दिन सूर्योदय से पहले उठ स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद नवमी के दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करें. इसके बाद मां को फल, फूल, पान, सुपारी अक्षत और सिंदूर अर्पित करें और हवन करने के बाद कन्या पूजन करें.
कन्या पूजन में नौ कन्याओं और एक लंगूर को भोजन करवाएं. पारण के लिए नवमी तिथि के समापन या दशमी तिथि के आरंभ पर पारण करें. अगर दशमी को पारण करते हैं तो सूर्योदय के बाद पारण करना उत्तम माना गया है. मान्यता है कि व्रत का पारण माता का प्रसाद खाकर ही करें. इससे आपको व्रत का पूरा फल मिलेगा और मनोकामनाएं जल्द पूर्ण होंगी.